Anuradha Paudwal Bhajan Lyrics | अनुराधा पौडवाल के भजन लिरिक्स

Anuradha Paudwal Bhajan Lyrics


Anuradha Paudwal Bhajan Lyrics


1.  हनुमान अमृतवाणी भजन लिरिक्स


रामायण की भव्य जो माला,
हनुमत उसका रत्न निराला।
निश्चय पूर्वक अलख जगाओ,
जय जय जय बजरंग ध्याओ ॥

अंतर्यामी है हनुमंता,
लीला अनहद अमर अनंता।
रामकी निष्ठा नस नस अंदर
रोम रोम रघुनाथ का मंदिर ॥

सिद्धि महात्मा ये सुख धाम,
इसको कोटि कोटि प्रमाण।
तुलसीदास के भाग्य जगाये,
साक्षात के दर्श दिखाए ॥

सूझ बूझ धैर्य का है स्वामी,
इसके भय खाते खलकामी।
निर्भिमान चरित्र है उसका,
हर एक खेल विचित्र है इसका ॥

सुंदरकांड है महिमा इसकी,
ऐसी शोभा और है किसकी।
जिसपे मारुती की हो छाया,
माया जाल ना उसपर आया ॥

मंगलमूर्ति महसुखदायक,
लाचारों के सदा सहायक।
कपिराज ये सेवा परायण,
इससे मांगो राम रसायन ॥

जिसको दे भक्ति की युक्ति,
जन्म मरण से मलती मुक्ति।
स्वार्थ रहित हर काज है इसका,
राम के मन पे राज है इसका ॥

वाल्मीकि ने लिखी है महिमा,
हनुमान के गुणों की गरिमा।
ये ऐसी अनमोल कस्तूरी,
जिसके बिना रामायण अधूरी ॥

कैसा मधुर स्वाभाव है इसका,
जन जन पर प्रभाव है इसका।
धर्म अनुकूल नीति इसकी,
राम चरण से प्रीती इसकी ॥

दुर्गम काज सुगम ये करता,
जन मानस की विपदा हरता।
युगो में जैसे सतयुग प्यारा,
सेवको में हनुमान निरारा ॥

दोहा- श्रद्धा रवि बजरंग की रे मन माला फेर,
भय भद्रा छंट जाएंगे घडी लगे ना देर ॥

अहिरावण को जिसने मारा,
तुझे भी देगा वो ही सहारा।
शत्रु सेना के विध्वंसक,
धर्मी कर्मी के प्रसंशक ॥

विजयलक्ष्मी से है विपोषित,
महावीर की छवि है शोभित।
बाहुबल प्रचंड है इसका,
निर्णय अटल अखंड है इसका ॥

हनु ने जग को ये समझाया,
बिना साधना किसने पाया।
ज्ञान से तुम अज्ञान मिटाओ,
सद्गुण से दुर्गुण को भगाओ ॥

वाल्मीकि ने लिखी है महिमा,
हनुमान के गुणों की गरिमा।
ये ऐसी अनमोल कस्तूरी,
जिसके बिना रामायण अधूरी ॥

कैसा मधुर स्वाभाव है इसका,
जन जन पर प्रभाव है इसका।
धर्म अनुकूल नीति इसकी,
राम चरण से प्रीती इसकी ॥

दुर्गम काज सुगम ये करता,
जन मानस की विपदा हरता।
युगो में जैसे सतयुग प्यारा,
सेवको में हनुमान निराला ॥

हनुमत भजन यही सिखलाता,
पुण्य से पाप अदृश्य हो जाता।
जो जान पढ़े हनुमान चालीसा,
हनु करे कल्याण उसी का ॥

संकटमोचन जी भर पढ़िए,
मन से कुछ विश्वास भी करिये।
बिना भरोसे कुछ नहीं होता,
तोता रहे पिंजरे का तोता ॥

पाठ करो बजरंग बाण का,
यही तो सूरज है कल्याण का।
रोम रोम में शब्द उतारो,
ऊपर ऊपर से ना पुकारो ॥

हनुमान वाहुक है एक वाहन,
सच्चे मन से करो आह्वान।
अपना बनाएगा वो तुमको,
गले लगाएगा वो तुमको ॥

भीतर से यदि रोये ना कोई,
उसका दिल से होये ना कोई।
हनुमत उसको कैसे मिलेगा,
सुख का कैसे फूल खिलेगा ॥

मन है यदि कौवे के जैसा,
हनु हनु फिर रटना है कैसा।
कपडे धोने से क्या होगा,
नस नस भीतर है यदि धोखा ॥

मन की आँखे भी कभी खोलो,
मन मंदिर में उसे टटोलो।
हनुमत तेरे पास है रहता,
देख तू पिके अमृत बहता ॥

दोहा- कपिपति हनुमंत की सेवा करके देख,
तेरे नसीबो की पल में बदल जाएगी रेख ॥

बजरंग सचिदानंद का प्यारा,
भक्ति सुधा की पावन धारा।
अर्जुन रथ की ध्वजा पे साजे,
बन के सहायक वह विराजे ॥

जनक नंदिनी की ममता में,
अवधपुरी की सब जनता में।
रमी हुई है छवि निराली,
भक्त राम का भाग्यशाली ॥

देखा एक दिन उसने जाके,
सीता को सिन्दूर लगाते।
भोलेपन में हनु ने पूछा,
क्यूँ लागे ये इतना अच्छा ॥

ऐसा करने से क्या होता,
मांग में भरने से क्या होता।
मुझे भी मैया कुछ बतलाओ,
क्या रहस्य है ये समझाओ ॥

जानकी माता बोली हँसके,
बाँध लो पल्ले ये तुम कसके।
न्याय करता अंतर्यामी,
रघुवर जो है तुम्हरे स्वामी ॥

जितना ये मैं मांग में भरती,
उतनी उसकी आयु बढ़ती।
मैं जो उसको मन से चाहती,
इसीलिए ये धर्म निभाती ॥

रामभक्त हनुमान प्यारे,
तीन लोक से है जो न्यारे।
श्रद्धा का वो रंग दिखाया,
रंग ली झट सिन्दूर से काया ॥

बिलकुल ही वो हो सिन्दूरी,
प्रभु की भक्ति करके पूरी।
अद्भुत ही ये रूप सजा के,
राजसभा में पहुंचे जाके ॥

देखकपि दी दशा न्यारी,
खिलखिलाये सब दरबारी।
प्रभु राम भी हँसके बोले,
ये क्या रूप है हनुमत भोले ॥

हनु कहा जो लोग है हँसते,
वो नहीं इसका भेद समझते।
जानकी मैया है ये कहती,
इस से आपकी आयु बढ़ती ॥

दोहा- चोला ये सिन्दूर का चढ़े जो मंगलवार,
कपि के स्वामी की इस से आयु बढे अपार ॥

विजय प्राप्त कर जब लंका पे,
राम अयोध्या नगरी लौटे।
राजसिंहासन पर जब बैठे,
फूल गगन से ख़ुशी के बरसे ॥

जानकी वल्लभ करुणा कर ने,
सबको दिए उपहार निराले।
मुक्ताहार जो मणियों वाला,
जिसका अद्भुत दिव्या उजाला ॥

सीता जी के कंठ सजाया,
राम ही जाने राम की माया।
सीता ने पल देर ना कीन्ही,
वो माला हनुमान को दीन्हि ॥

महावीर थे कुछ घबराये,
रहे देखते वो चकराए।
जैसे उनको भाये ना माला,
हृदय को भरमाये ना माला ॥

गले से माला झट दी उतारी,
तोड़े मोती बारी बारी।
हीरे कई चबाकर देखे,
सारे रत्न दबाकर देखे ॥

व्याकुल उसकी हो गयी काया,
पानी नैनन में भर आया।
जैसे दिल ही टूट गया हो,
भाग्य का दर्पण फूट गया हो ॥

चकित हुए थे सब दरबारी,
बोझ सिया के मन पे भारी।
राम ने कैसे खेल रचाया,
कोई भी इसको जान ना पाया ॥

पूछा सिया ने अंजनी लाला,
माँ का प्यार था ये तो माला।
माँ की ममता क्यों ठुकरा दी,
कौन सी गलती की ये सजा दी ॥

बजरंग बोले आंसू भर के,
जनक सुता के चरण पकड़ के।
मैया हर एक मोती देखा,
तोड़ तोड़ के सब कुछ परखा ॥

कहीं ना मूरत राम की माता,
वो माला किस काम की माता।
कोड़ी के वो हीरे मोती,
जिनमे राम की हो ना ज्योति ॥

दोहा- सुनके वचन हनुमान के कहा सिये तत्काल
राम तेरे तुम राम के हो ऐ अंजनी के लाल ॥

एक समय की कथा ये सुनिए,
कपि महिमा के मोती चुनिए।
राम सेतु के निकट कहीं पर,
राम की धुन में खोये कपिवर ॥

सूर्य पुत्र शनि अभिमानी,
ने जाने क्या मन में ठानी।
हनुमान को आ ललकारा,
देखना है बल मैंने तुम्हारा ॥

बड़ा कुछ जग से सुना सुनाया,
युद्ध मैं तुमसे करने आया।
महावीर ने हँसके टाला,
काहे रूप धरा विकराला ॥

महाप्रतापी शनि तू मन,
शक्ति कहीं जा और दिखाना।
राम भजन दे करने मुझको,
हाथ जोड़ मैं कहता तुझको ॥

लेकिन टला ना वो अहंकारी,
कहा अगर तू है बलकारी।
मुझको शक्ति ज़रा तू दिखादे,
कितने पानी में है बता दे ॥

हनुमान ने पूंछ बढ़ाकर,
शनि के चारो ओर घुमाकर।
कस के उसे लपेटा ऐसे,
नाग जकड़ता किसी को जैसे ॥

खूब घुमा के दिया जो झटका,
बार बार पत्थरो पे पटका।
हो गया जब वो लहू लुहान,
चूर हो गया सब अभिमान ॥

ऐसे अब ना छोडूंगा तुझको,
कहा हनु ने वचन दे मुझको।
मेरे भक्तो को तेरी दृष्टि,
भूल के कष्ट कभी ना देगी ॥

शनि ने हाँ का शक्त ऊंचारा,
तब हुआ जाकर छुटकारा।
चोट की पीड़ा से वो रोकर,
तेल मांगने लगा दुखी होकर ॥

शास्त्र हमें ये ही बताता,
जो भी शनि को तेल चढ़ाता।
उसकी दशा से वो बच जाता,
हनुमान की महिमा गाता ॥

दोहा- शनि कभी जो आ घेरे मत डरियो इंसान,
जाप करो हनुमान का हो जाए कल्याण ॥

हनुमान निर्णायक शक्ति,
हनुमान पुरषोतम भक्ति।
हनुमान है मार्गदर्शक,
हनुमान है भय विनाशक ॥

हनुमान है दया निधान,
हनुमान है गुणों की खान।
हनुमान योद्धा सन्यासी,‌
हनुमान है अमर अविनाशी ॥

हनुमान बल बुद्धि दाता,
हनुमान चित शुद्धि करता।
हनुमान स्वामी का सेवक,
हनुमान कल्याण दारक ॥

हनुमान है ज्ञान ज्योति,
हनुमान मुक्ति की युक्ति।
हनुमान है दीन का रक्षक,
हनुमान आदर्श है शिक्षक ॥

हनुमान है सुख का सागर,
हनुमान है न्याय दिवाकर।
हनुमान है सच का अंजन,
हनुमान निर्दोष निरंजन ॥

हनुमान है आश्रय दाता,
हनुमान सुखधाम विधाता।
हनुमान है जग हितकारी,
हनुमान है निर्विकारी ॥

हनुमान त्रिकाल की जाने,
हनुमान सबको पहचाने।
हनुमान से मनवा जोड़ो,
हनुमान से मुँह ना मोड़ो ॥

हनुमान का कीजे चिंतन,
हनुमान हर सुख का सागर।
हनुमान को ना बिसराओ,
हनुमान शरण में जाओ ॥

हनुमान उत्तम दानी,
हनुमान का जप कल्याणी।
हनुमान जग पालनहारा,
हनुमान ने सबको तारा ॥

हनुमान की फेरो माला,
हनुमान है दीनदयाला।
हनुमान को सिमरो प्यारे,
हनुमान है साथ तुम्हारे ॥

दोहा- पवन के सुत हनुमान का जिसके सिर पर हाथ,
उसको कभी डराये ना दुःख की काली रात ॥

जय जय जय हनुमान, जय हो दया निधान,
जय जय जय हनुमान, जय हो दया निधान,
जय जय जय हनुमान, जय हो दया निधान ॥


2. मन मेरा मंदिर शिव मेरी पूजा भजन लिरिक्स


ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय

सत्य है ईश्वर, शिव है जीवन,
सुन्दर यह संसार है ।
तीनो लोक हैं तुझमे,
तेरी माया अपरम्पार है ॥

ॐ नमः शिवाय नमो, ॐ नमः शिवाय नमो

मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा,
शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा ।
बोल सत्यम शिवम्, बोल तू सुंदरम,
मन मेरे शिव की महिमा के गुण गए जा ॥

पार्वती जब सीता बन कर, जय श्री राम के सन्मुख  आयी,
राम ने उनको माता कह कर, शिव शंकर की महिमा गायी ।
शिव भक्ति में सब कुछ सुझा, शिव से बढ़कर नहीं कोई दूजा,
बोल सत्यम शिवम्, बोल तू सुंदरम,
मन मेरे शिव की महिमा के गुण गए जा ॥

तेरी जटा से निकली गंगा और गंगा ने भीष्म दिया है,
तेरे भक्तो की शक्ति ने सारे जगत को जीत लिया है ।
तुझको सब डिवॉन ने पूजा, शिव से बड़ा नहीं कोई दूजा,
बोल सत्यम शिवम्, बोल तू सुंदरम,
मन मेरे शिव की महिमा के गुण गए जा ॥


3. ऐसी सुबह ना आए आए ना ऐसी शाम लिरिक्स


श्लोक - शिव है शक्ति,
शिव है भक्ति,
शिव है मुक्ति धाम,
शिव है ब्रह्मा,
शिव है विष्णु,
शिव है मेरा राम ॥

ऐसी सुबह ना आए,
आए ना ऐसी शाम,
जिस दिन जुबाँ पे मेरी,
आए ना शिव का नाम ॥

ॐ नमः शिवाय,
ॐ नमः शिवाय ।

मन मंदिर में वास है तेरा,
तेरी छवि बसाई,
प्यासी आत्मा बनके जोगन,
तेरी शरण में आई,
तेरे ही चरणों में पाया,
मैंने ये विश्राम,
ऐसी सुबह ना आये,
आये ना ऐसी शाम ॥

तेरी खोज में न जाने,
कितने युग मेरे बीते,
अंत में काम क्रोध मद हारे,
हे भोले तुम जीते,
मुक्त किया तूने प्रभु मुझको,
शत शत है प्रणाम,
ऐसी सुबह ना आये,
आये ना ऐसी शाम ॥

सर्व कला संम्पन तुम्ही हो,
हे मेरे परमेश्वर,
दर्शन देकर धन्य करो अब,
हे त्रिनेत्र महेश्वर,
भव सागर से तर जाउंगा,
लेकर तेरा नाम,
ऐसी सुबह ना आये,
आये ना ऐसी शाम ॥

ऐसी सुबह ना आये,
ना ऐसी शाम,
जिस दिन जुबाँ पे मेरी,
आए ना शिव का नाम ॥


4. शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ लिरिक्स


शिव शंकर को जिसने पूजा,
उसका ही उद्धार हुआ ।
अंत काल को भवसागर में,
उसका बेडा पार हुआ ॥
भोले शंकर की पूजा करो,
ध्यान चरणों में इसके धरो ।
हर हर महादेव शिव शम्भू,
हर हर महादेव शिव शम्भू ।
हर हर महादेव शिव शम्भू...

डमरू वाला है जग में दयालु बड़ा
दीन दुखियों का देता जगत का पिता ॥
सब पे करता है ये भोला शंकर दया
सबको देता है ये आसरा ॥

इन पावन चरणों में अर्पण,
आकर जो इक बार हुआ,
अंतकाल को भवसागर में,
उसका बेडा पार हुआ,
हर हर महादेव शिव शम्भू,
हर हर महादेव शिव शम्भू ।
हर हर महादेव शिव शम्भू...

नाम ऊँचा है सबसे महादेव का,
वंदना इसकी करते है सब देवता ।
इसकी पूजा से वरदान पातें हैं सब,
शक्ति का दान पातें हैं सब।

नाथ असुर प्राणी सब पर ही,
भोले का उपकार हुआ ।
अंत काल को भवसागर में,
उसका बेडा पार हुआ॥

शिव शंकर को जिसने पूजा,
उसका ही उद्धार हुआ ।
अंत काल को भवसागर में,
उसका बेडा पार हुआ ॥

भोले शंकर की पूजा करो,
ध्यान चरणों में इसके धरो ।
हर हर महादेव शिव शम्भू,
हर हर महादेव शिव शम्भू ।
हर हर महादेव शिव शम्भू...


5. जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा लिरिक्स


जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

'सूर' श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥


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