नागर जी के भजन लिरिक्स - Nagar Ji Ke Bhajan Lyrics

नागर जी के भजन लिरिक्स

नागर जी के भजन लिरिक्स


1. मेरी नैया पड़ी है मजधार प्रभु इसे पार लगा देना लिरिक्स


मेरी नैया पड़ी है मजधार,
प्रभु इसे पार लगा देना,
तेरी माला जपूँगा दिन रात,
प्रभु इसे पार लगा देना ॥

मेरी नाव नही है नामी,
ना जानी है डोर लगानी,
कही डूब ना जाये मजधार,
प्रभु इसे पार लगा देना ॥

मेरी नाव है बहुत पुरानी,
डूबने की है इसकी कहानी,
फिर डूब ना जाये इस बार,
प्रभु इसे पार लगा देना ॥

तुम तो जानो प्रभु जी घट घट की,
मेरी नैया भवर बिच अटकी,
अब दूजो नही है आधार,
प्रभु इसे पार लगा देना ॥

मेरी नैया पड़ी है मजधार,
प्रभु इसे पार लगा देना,
तेरी माला जपूँगा दिन रात,
प्रभु इसे पार लगा देना ॥

2. मेरे दिन बंधू भगवान रे गरुड़ पर चढ़कर आ जाना लिरिक्स


मेरे दिन बंधू भगवान रे,
गरुड़ पर चढ़कर आ जाना ॥

मेरी साँस चले ना पावा,
ना जिव्हा चले ना गाना,
मेरा जिव चले भगवान तो तुम,
शिव जी बनकर आ जाना,
मेरे दिन बंधु भगवान रे,
गरुड़ पर चढ़कर आ जाना ॥

गुजरू जब में गुलजारी,
ये दुनिया रहे ना सारी,
गुजरू जब में गुरुदेव तो तुम,
सतगुरु बनकर आ जाना,
मेरे दिन बंधु भगवान रे,
गरुड़ पर चढ़कर आ जाना ॥

चलने की हो तैयारी,
तब घोडा मिले ना गाड़ी,
मेरी शैया छूटे घनश्याम तो तुम,
नैया लेकर आ जाना,
मेरे दिन बंधू भगवान रे,
गरुड़ पर चढ़कर आ जाना ॥

यमदूत बनाये बंदी,
और काया होगी गन्दी,
जब जाऊँ में शमशाम तो तुम,
नंदी लेकर आ जाना,
मेरे दिन बंधु भगवान रे,
गरुड़ पर चढ़कर आ जाना ॥

जब आये मरण का मौका,
कही हो ना जाये धोका,
मेरे ज्ञान के दाता गुरुदेव रे तुम,
कोई नौका लेकर आ जाना,
मेरे दिन बंधु भगवान रे,
गरुड़ पर चढ़कर आ जाना ॥

3. सुमिरन क्यों नि करे भजन लिरिक्स


सुमिरन क्यों नि करे,
क्यों रे मन सुमिरन क्यो नि करे ॥

रावण कंस हिरणाकुश मारयो,
ध्रुव प्रहलाद विभीषण तारयो,
तू उनसे क्यों राड़ करे,
क्यो रे मन सुमिरन क्यो नि करे,
सुमिरन क्यो नि करे,
क्यों रे मन सुमिरन क्यो नि करे ॥

साधू संत तुझे समझावे,
अगम को पंथ तुझे बतलावै,
तू कोई के भी पत नि करे,
क्यो रे मन सुमिरन क्यो नि करे,
सुमिरन क्यो नि करे,
क्यों रे मन सुमिरन क्यो नि करे ॥

देख देख तू क्यों इतरायो,
जाणु थारे किने भरमायो,
तू माया को साथ करे,
क्यो रे मन सुमिरन क्यो नि करे,
सुमिरन क्यो नि करे,
क्यों रे मन सुमिरन क्यो नि करे ॥

मेरा मेरा करके गंवाए,
साथ ना तेरे कोई जाए,
तेरा तेरह दिन याद करे,
क्यो रे मन सुमिरन क्यो नि करे,
सुमिरन क्यो नि करे,
क्यों रे मन सुमिरन क्यो नि करे ॥

नौ दस मास तुझे समझायो,
कोल करार करी तू आयो,
अब आड़ी टेढ़ी बात करे,
क्यो रे मन सुमिरन क्यो नि करे,
सुमिरन क्यो नि करे,
क्यों रे मन सुमिरन क्यो नि करे ॥

बेगम देश चलो रे मन मेरा,
सतगुरु का जहाँ लगा है डेरा,
वहां अमृत बून्द झरे,
क्यो रे मन सुमिरन क्यो नि करे,
सुमिरन क्यो नि करे,
क्यों रे मन सुमिरन क्यो नि करे ॥

शब्द का डंका जहाँ नित बाजे,
जगमग आँगन जहाँ है लागे,
वहां नित नया मोती परे,
क्यो रे मन सुमिरन क्यो नि करे,
सुमिरन क्यो नि करे,
क्यों रे मन सुमिरन क्यो नि करे ॥

मांगी चादर में दाग लगायो,
संत सरोवर कभी नहीं नहायो,
फिर जम की भेंट चढ़े,
क्यो रे मन सुमिरन क्यो नि करे,
सुमिरन क्यो नि करे,
क्यों रे मन सुमिरन क्यो नि करे ॥

सुमिरन क्यों नि करे,
क्यों रे मन सुमिरन क्यो नि करे ॥

4. प्रभु तेरा द्वार ना छूटे रे लिरिक्स


प्रभु तेरा द्वार ना छूटे रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे,
छूट जाए संसार,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे ॥

तुझे छोड़कर दूजो द्वार का,
अब नही सुझे रे,
द्वारिकाधीश अब तेरी द्वारिका,
द्वारिकाधीश अब तेरी द्वारिका,
ना हमसे छूटे रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे ॥

सदा सुहागन द्वार तुम्हारे,
देहली पूजे रे,
देहली छोड़कर जो कोई जावे,
देहली छोड़कर जो कोई जावे,
किस्मत फूटे रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे ॥

जाति रूठे पाती रूठे,
साथी रूठे रे,
रूठ जाए सब घर परिवारा,
रूठ जाए सब घर परिवारा,
पर तू मत रूठे रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे ॥

बंधु छूटे बांधव छूटे,
बंधन छूटे रे,
कभी ना छूटे हाथ का कंगन,
कभी ना छूटे हाथ का कंगन,
ना प्रीतम छूटे रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे ॥

नहीं छूटे थारो भजन पूजन,
ना दर्शन छूटे रे,
नहीं छूटे थारी सेवा चाकरी,
नहीं छूटे थारी सेवा चाकरी,
ना सत्संग छूटे रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे ॥

धन भी खुटे जोबन खुटे,
सांसा खुटे रे,
आशीर्वाद कभी नहीं खुटे,
आशीर्वाद कभी नहीं खुटे,
कोई लेकर देखे रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे ॥

वादे झूठे सौदे झूठे,
सौगन झूठे रे,
नहीं बेर भीलनी के झूठे,
नहीं बेर भीलनी के झूठे,
कोई खाकर देखे रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे ॥

प्रभु तेरा द्वार ना छूटे रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे,
छूट जाए संसार,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे,
प्रभु तेरा द्वार ना छूटें रे ॥

5. हे पूरण परमात्मा विश्व बने धर्मात्मा लिरिक्स


हे पूरण परमात्मा,
विश्व बने धर्मात्मा,
सुखी रहे सब आत्मा,
सुखी रहे सब आत्मा ॥

एक मेरी यही प्रार्थना,
दुखी ना हो कोई आत्मा,
एक मेरी यही प्रार्थना,
दुखी ना हो कोई आत्मा,
हे पुरण परमात्मा,
हे पुरण परमात्मा ॥

जीव करे आराधना,
रहे ना कोई वासना,
जीव करे आराधना,
रहे ना कोई वासना,
हे पुरण परमात्मा,
हे पुरण परमात्मा ॥

रहे अँधेरी रात ना,
भोगे नहीं यम यातना,
रहे अँधेरी रात ना,
भोगे नहीं यम यातना,
हे पुरण परमात्मा,
हे पुरण परमात्मा ॥

हे पूरण परमात्मा,
विश्व बने धर्मात्मा,
सुखी रहे सब आत्मा,
सुखी रहे सब आत्मा ॥

6. मेरी प्रीत ना छूटेगी नंदलाला से लिरिक्स


मेरी प्रीत ना छूटेगी नंदलाला से,
नंदलाला से मुरली वाला से,
नंदलाला से मुरली वाला से,
मेरी प्रीत ना छूटेगी नन्दलाला से ॥

कोई रोक के बताये,
कोई टोक के बताये,
अभी पाला नी पड़ा है ब्रजबाला से,
मेरी प्रीत ना छूटेगी नन्दलाला से ॥

चाहे सासु से कहवाओँ,
चाहे सुसरा से कहवाओँ,
चाहे मार भी पिटाओ कोई बलमा से,
मेरी प्रीत ना छूटेगी नन्दलाला से ॥

चाहे घर में रोकाओ,
चाहे ताला भी लगाओ,
क्या प्रेम भी रुका है कोई ताला से,
मेरी प्रीत ना छूटेगी नन्दलाला से ॥

चाहे हाथी से कुचाओ,
चाहे जाति से भगाओ,
चाहे जहर भी पिलाओ को प्याला से,
मेरी प्रीत ना छूटेगी नन्दलाला से ॥

चाहे आग में जलाओ,
चाहे आरे से कटाओ,
कोई शीश भी कटाए चाहे भाला से,
मेरी प्रीत ना छूटेगी नन्दलाला से ॥

मेरी प्रीत ना छूटेगी नंदलाला से,
नंदलाला से मुरली वाला से,
नंदलाला से मुरली वाला से,
मेरी प्रीत ना छूटेगी नन्दलाला से ॥

7. हरी भजलो हरी भजलो हरी भजने का मौका है लिरिक्स


हरी भजलो हरी भजलो,
हरी भजने का मौका है,
अभी भजलो सभी भजलो,
अभी भजने का मौका है,
हरी भजलों हरी भजलों,
हरी भजने का मौका है ॥

जतन करके रटन करके,
जला लो ज्ञान की बाती,
अकड़ने का नहीं बन्दे,
रटन करने का खोका है,
हरी भजलों हरी भजलों,
हरी भजने का मौका है ॥

नहीं तन भोग भोगन को,
नहीं तन लोग देखन को,
है तन ये योग करने को,
है तन ये धोक देने को,
ना माना भोग भव सिन्धु,
ये तन तरने की नौका है,
हरी भजलों हरी भजलों,
हरी भजने का मौका है ॥

बना रहना सदा ज्ञानी,
सुनाकर संत की वाणी,
नहीं बनना कभी कामी,
नहीं बनना विषय गामी,
बुझे ना ज्ञान की ज्योति,
विषय वायु का झोका है,
हरी भजलों हरी भजलों,
हरी भजने का मौका है ॥

पकड़ कर हाथ जो तेरा,
कहे ये बाप है मेरा,
अभी सब साथ है तेरे,
आगे होने को धोका है,
हरी भजलों हरी भजलों,
हरी भजने का मौका है ॥

मेरे नाते मेरे रिश्ते,
मेरे साथी घनेरे है,
नहीं नाते नहीं रिश्ते,
सभी साथी लुटेरे है,
करे ये लूट के नंगा,
मरे का माथा ठोका है,
हरी भजलों हरी भजलों,
हरी भजने का मौका है ॥

हरी भजलों हरी भजलो,
हरी भजने का मौका है,
अभी भजलो सभी भजलो,
अभी भजने का मौका है,
हरी भजलों हरी भजलों,
हरी भजने का मौका है ॥
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