Top 15 Manish Tiwari Bhajan Lyrics | मनीष तिवारी भजन लिरिक्स

Manish Tiwari Bhajan Lyrics


Top 15 Manish Tiwari Bhajan Lyrics


1. सिंदूर चढ़ाने से हर काम होता है लिरिक्स


सिंदूर चढ़ाने से हर काम होता है,
हनुमान को खुश करना आसान होता है,
हनुमान को खुश करना आसान होता है ॥

करले भजन दिल से हनुमान प्यारे का,
जिसको भरोसा है अंजनी दुलारे का,
वहाँ आनंद है जहाँ इनका गुणगान होता है,
सिंदूर चढ़ाने से हर काम होता हैं,
हनुमान को खुश करना आसान होता है,
हनुमान को खुश करना आसान होता है ॥

हनुमान के जैसा कोई देव ना दूजा,
सबसे बड़ी जग में हनुमान की पूजा,
वो घर मंदिर जहाँ इनका सम्मान होता है,
सिंदूर चढ़ाने से हर काम होता हैं,
हनुमान को खुश करना आसान होता है,
हनुमान को खुश करना आसान होता है ॥

श्री राम के आगे पूरा जोर है इनका ,
बनवारी दुनिया में अब शोर है इनका,
जो मुख मोड़े हनुमत से परेशान होता है,
सिंदूर चढ़ाने से हर काम होता हैं,
हनुमान को खुश करना आसान होता है,
हनुमान को खुश करना आसान होता है ॥

सिंदूर चढ़ाने से हर काम होता है,
हनुमान को खुश करना आसान होता है,
हनुमान को खुश करना आसान होता है ॥


2. अंजनी के लाल हनुमान आज मेरा संकट हरो लिरिक्स


दोहा – काज किये बढ़ देवन के तुम,
वीर महाप्रभु देख विचारो,
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहीं जात है टारो ॥

अंजनी के लाल हनुमान,
आज मेरा संकट हरो,
संकट हरो मेरी विनती सुनो,
मेरी विनती सुनो,
अंजनी के लाल हनुमान,
आज मेरा संकट हरो ॥

लाखो को तारे लाखो उबारे,
लाखो उबारे,
लाखो को तारे लाखो उबारे,
लाखो उबारे,
हमको भी तारो हनुमान,
आज मेरा संकट हरो,
अंजनी के लाल हनुमान,
आज मेरा संकट हरो ॥

लक्ष्मण को शक्ति बाण लाग्यो जब,
बाण लाग्यो जब,
लक्ष्मण को शक्ति बाण लाग्यो जब,
बाण लाग्यो जब,
लाये संजीवन उतार,
आज मेरा संकट हरो,
अंजनी के लाल हनुमान,
आज मेरा संकट हरो ॥

लंका में जब ये हलचल मची थी,
हलचल मची थी,
विभीषण की कुटिया कैसे बची थी,
कैसे बची थी,
कुटिया में लिखा राम नाम,
आज मेरा संकट हरो,
अंजनी के लाल हनुमान,
आज मेरा संकट हरो ॥

तुलसीदास रख आस रघुवर की,
आस रघुवर की,
तुलसीदास रख आस रघुवर की,
आस रघुवर की,
राम जी के भक्त हनुमान,
आज मेरा संकट हरो,
अंजनी के लाल हनुमान,
आज मेरा संकट हरो ॥

अंजनी के लाल हनुमान,
आज मेरा संकट हरो,
संकट हरो मेरी विनती सुनो,
मेरी विनती सुनो,
अंजनी के लाल हनुमान,
आज मेरा संकट हरो ॥


3. गणपति राखो मेरी लाज लिरिक्स


श्लोक-
जय गणेश, गणनाथ दयानिधि, सकल विघन,
कर दूर हमारे, मम वंदन स्वीकार करो प्रभु जी,
चरण शरण हम , आये तुम्हारी,
जय गणेश, गणनाथ दयानिधि ।

गणपति राखो मेरी लाज,
पूरण कीजो मेरे काज ॥

सदा रहे खुशहाल गणपति लाल,
जो प्रथमे तुम्हे धियावे,
रिध्धि सिद्धि के दाता ओ भाग्यविधाता,
वो सबकुछ तुमसे पाये ।
विनती सुणलो मेरी आज,
गणपती राखो मेरी लाज,
पूरण कीजो मेरे काज ॥

कभी ना टूटे आस मेरा विश्वास,
मैं आया शरण तुम्हारी,
हे शम्भू के लाल प्रभु किरपाल,
हे तेरी महिमा न्यारी,
तेरे दया का मैं मोहताज,
गणपती राखो मेरी लाज,
पूरण कीजो मेरे काज ॥

जिसके सर पे हाथ तेरा हो नाथ,
उसे फिर कैसा डर है,
जपे जो तेरा नाम सुबह और शाम,
तो उसका नाम अमर है,
सब देवो के तुम सरताज,
गणपती राखो मेरी लाज,
पूरण कीजो मेरे काज ॥


4. सुन बरसाने वाली गुलाम तेरो बनवारी लिरिक्स


दोहा - 
राधा मेरी स्वामिनी,
मैं राधा को दास,
जनम जनम मोहे दीजिओ,
वृन्दावन को वास ।

सुन बरसाने वाली,
गुलाम तेरो बनवारी ।
गिरधारी मेरो गिरधारी,
गिरधारी मेरो गिरधारी,
ओ बरसाने वाली,
गुलाम तेरो बनवारी ॥

तेरी पायलीया पे बाजे मुरलीया,
छम छम नाचे गिरधारी,
गुलाम तेरो बनवारी ॥

चंद्र से चेहरे पे बड़ी बड़ी अंखिया,
लट लटके घुँगरालि,
गुलाम तेरो बनवारी ॥

बड़ी बड़ी अँखियन मे,
झीनो झीनो कजरौ,
घायल कुंज बिहारी,
गुलाम तेरो बनवारी ॥

व्रँदावन के राजा होकर,
छाछ पे नाचे मुरारी,
गुलाम तेरो बनवारी ॥

वृंदावन की कुंज गलीन मे,
रास रचावे गिरधारी,
गुलाम तेरो बनवारी ॥

क़दम की डाल पे झूला पड़ा है,
झोटा देय बिहारी,
गुलाम तेरो बनवारी ॥

सुन बरसाने वाली,
गुलाम तेरो बनवारी ।
गिरधारी मेरो गिरधारी,
गिरधारी मेरो गिरधारी,
ओ बरसाने वाली,
गुलाम तेरो बनवारी ॥


5. प्रीत मे पूजे नाम तुम्हारा लिरिक्स


प्रीत मे पूजे नाम तुम्हारा,
गणपति जगत खिवैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला॥

खजराना मे आन बिराजे,
ये मेरे गणराज रे,
रिद्धि सिद्धि के दाता देखो,
ये मेरे महराज रे,
तुम हि दिन बंधु दुख हरता,
तुम ही सर्व जगत के कर्ता,
आन विराजौ बिछी हुई है,
आशाओं की छैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला॥

लेकर द्वार तुम्हारे आये,
ये फूलों की माला,
देखो हमको भूल ना जाना,
तु सबका रखवाला,
तुमहि दिन बंधु दुख हरता,
तुम ही सर्व जगत के कर्ता,
आन विराजौ बिछी हुई है,
आशाओं की छैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला॥॥

भक्ति का ज्ञान देदे हमको,
शक्ति की इक्छा देदे,
नस नस मे हो प्रेम भावना,
ऐसी इच्छा दे दे,
तुमहि दिन बंधु दुख हरता,
तुम ही सर्व जगत के कर्ता,
आन विराजौ बिछी हुई है,
आशाओं की छैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला॥॥

प्रीत मे पूजे नाम तुम्हारा,
गणपति जगत खिवैया,
शिव नँदन अब आज हमारी,
पार लगाना नैय्या,
जय गौरी के लाला॥


6. मेरे सर पर रखदो मैया लिरिक्स


मेरे सर पर रखदो मईया जी,
अपने ये दोनों हाथ,
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ ॥

इस जनम में सेवा देकर,
बहुत बड़ा अहसान कीया,
तू ही साथी तू ही खिवैया,
मैंने तुझे पहचान लिया,
हम साथ रहे जन्मों तक,
हम साथ रहे जन्मों तक,
बस रखना इतनी बात,
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ ॥

झुलस रहें है गम की धुप में,
प्यार की छईया कर दे तू,
बिन पानी के नाव चले ना,
अब पतवार पकड़ ले तू,
मेरा रस्ता रौशन कर दे,
मेरा रस्ता रौशन कर दे,
छायी अंधियारी रात,
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ ॥

देने वाली मैय्या हो तो,
धन और दौलत क्या मांगे,
साथ अगर मैय्या का हो तो,
नाम और इज्जत क्या मांगे,
मेरे जीवन में तू कर दे,
मेरे जीवन में तू कर दे,
माँ किरपा की बरसात,
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ ॥

मात तेरे चरणों की धूल ये,
धन दौलत से महंगी है,
एक नज़र कृपा की मैय्या,
नाम इज्जत से महंगी है,
मेरे दिल की तम्मना यही है,
मेरे दिल की तम्मना यही है,
करूँ सेवा तेरी दिन रात,
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ ॥

सुना है हमने शरणागत को,
अपने गले लगाती हो,
ऐसा हमने क्या माँगा जो,
देने से घबराती हो,
चाहे जैसे रखलो मैया,
चाहे जैसे रखलो मैया,
बस होती रहे मुलाकात,
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ ॥

मेरे सर पर रखदो मईया जी,
अपने ये दोनों हाथ,
देना हो तो दीजिए,
जनम जनम का साथ ॥


7. एक हरि को छोड़ किसी की लिरिक्स


एक हरि को छोड़ किसी की,
चलती नहीं है मनमानी,
चलती नही है मनमानी ॥

लंकापति रावण योद्धा ने,
सीता जी का हरण किया,
इक लख पूत सवालख नाती,
खोकर कुल का नाश किया,
धान भरी वो सोने की लंका,
हो गई पल मे कूल्धानि,
एक हरि को छोड़ किसी की,
चलती नही है मनमानी ॥

मथुरा के उस कंस राजा ने,
बहन देवकी को त्रास दिया,
सारे पुत्र मार दीये उसने,
तब प्रभु ने अवतार लिया,
मार गिराया उस पापी को,
था मथुरा मे बलशाली,
एक हरि को छोड़ किसी की,
चलती नही है मनमानी ॥

भस्मासुर ने करी तपस्या,
शंकर से वरदान लिया,
शंकर जी ने खुश होकर उसे,
शक्ति का वरदान दिया,
भस्म चला करने शंकर को,
शंकर भागे हरीदानी,
एक हरी को छोड़ किसी की,
चलती नही है मनमानी ॥

उसे मारने श्री हरि ने,
सुंदरी का रुप लिया,
जेसा जेसा नाचे मोहन,
वेसा वेसा नाच किया,
अपने हाथ को सर पर रखकर,
भस्म हुआ वो अभिमानी,
एक हरी को छोड़ किसी की,
चलती नही है मनमानी ॥

सुनो सुनो ए दुनिया वालो,
पल भर मे मीट जाओगे,
गुरु चरणों मे जल्दी जाओ,
हरि चरणों को पाओगे,
भजनानद कहे हरी भजलो,
दो दिन की है ज़िन्दगानी,
एक हरि को छोड़ किसी की,
चलती नही है मनमानी ॥


8. जरा इतना बता दे कान्हा तेरा रंग लिरिक्स


जरा इतना बता दे कान्हा,
तेरा रंग काला क्यों ।
तु काला होकर भी,
जग से निराला क्यों ॥

मैंने काली रात में जन्म लिया,
और काली गाय का दूध पीया ।
मेरी कमली भी काली है,
इसी लिए काला हूँ ॥

जरा इतना बता दे कान्हा,
तेरा रंग काला क्यों ।
तु काला होकर भी,
जग से निराला क्यों ॥

मैंने काले नाग पर नाच किया,
और काले नाग को नाथ लिया ।
नागों का रंग काला,
इसी लिए काला हूँ ॥

जरा इतना बता दे कान्हा,
तेरा रंग काला क्यों ।
तु काला होकर भी,
जग से निराला क्यों ॥

सखी रोज़ घर में बुलाती है,
और माखन बहुत खिलाती है ।
सखिओं का दिल काला,
इसी लिए काला हूँ ॥

जरा इतना बता दे कान्हा,
तेरा रंग काला क्यों ।
तु काला होकर भी,
जग से निराला क्यों ॥

सखी नयनों में कजरा लगाती है,
और पलकों पे मुझे बिठाती है ।
कजरे का रंग काला,
इसी लिए काला हूँ ॥

जरा इतना बता दे कान्हा,
तेरा रंग काला क्यों ।
तु काला होकर भी,
जग से निराला क्यों ॥

सावन में बिजली कड़कती है,
बादल भी बहुत बरसतें है ।
बादल का रंग काला,
इसी लिए काला हूँ ॥

जरा इतना बता दे कान्हा,
तेरा रंग काला क्यों ।
तु काला होकर भी,
जग से निराला क्यों ॥


9. गजानंद महाराज पधारो कीर्तन की तैयारी है लिरिक्स


श्लोक -
प्रथम मनाये गणेश के.
ध्याऊ शारदा मात,
मात पिता गुरु प्रभु चरण मे,
नित्य नमाऊ माथ ॥

गजानंद महाराज पधारो,
कीर्तन की तैयारी है,
आओ आओ बेगा आओ,
चाव दरस को भारी है ॥

थे आवो ज़द काम बणेला,
था पर म्हारी बाजी है,
रणत भंवर गढ़ वाला सुणलो,
चिन्ता म्हाने लागि है,
देर करो मत ना तरसाओ,
चरणा अरज ये म्हारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥

रीद्धी सिद्धी संग आओ विनायक,
देवों दरस थारा भगता ने,
भोग लगावा ढोक लगावा,
पुष्प चढ़ावा चरणा मे,
गजानंद थारा हाथा मे,
अब तो लाज हमारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥

भगता की तो विनती सुनली,
शिव सूत प्यारो आयो है,
जय जयकार करो गणपति की,
म्हारो मन हर्शायो है,
बरसेंगा अब रस कीर्तन मे,
भगतौ महिमा भारी है,
गजानन्द महाराज पधारो ॥

गजानंद महाराज पधारों,
कीर्तन की तैयारी है,
आओ आओ बेगा आओ,
चाव दरस को भारी है ॥


10. साईं तेरी शिर्डी को मेरा प्रणाम लिरिक्स


साईं की पावन की भूमि को मेरा प्रणाम
साईं तेरी शिर्डी को मेरा प्रणाम ,

शिर्डी ये तेरी साईं दिल में उतर गई,
मिटटी लगाई सर से किस्मत सवर गई,
झोली थी खली मेरी झोली ये भर गई,
सरकार साईं नाथ सुनलो मेरी पुकार,
ओ साईं तेरी शिर्डी को मेरा प्रणाम,

भक्तो का लगता मेला इस शिर्डी गाँव में,
साईं विराजे मेरे निबुआ की छाव में,
श्रद्धा सबुरी भरलो जीवन की नाव में,  
सरकार साईं नाथ सुनलो मेरी पुकार,
साई तेरी शिर्डी को मेरा प्रणाम,

तेरा करम हुआ तो हम शिर्डी आएँगे,
पा करके तेरा दर्शन भाग्य खुल जाएंगे,
नाम लेने से तेरा भाव से तर जाएंगे,
सरकार साईं नाथ साईं नाथ साईं नाथ,
साईं तेरी शिर्डी को मेरा प्रणाम,

जब तक बिका ना था कुछ मोल ही न था,
तुमने खरीद कर अनमोल कर दिया,
साई तेरी शिर्डी को मेरा प्रणाम,

जय जय साईं राम राम,
बोलो जय जय साईं राम,

साईं की पावन की भूमि को मेरा प्रणाम,
साईं तेरी शिर्डी को मेरा प्रणाम,


11. बड़े मान से जमाना लिरिक्स


श्लोक – जयंती मंगला काली,
भद्र काली कपालिनी,
दुर्गा क्षमा शिवधात्री,
स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।

बड़े मान से जमाना मां तुमको पूजता है,
तेरे नाम का तराना त्रिभुवन में गूंजता है ॥

होती दया की जिसपे नजर,
दुनिया में होता वो बेखबर ॥

चरणों में वो दीवाना चोखट को चूमता है,
बड़े मान से जमाना मां तुमको पूजता है ॥

भक्तो को देती वरदान है,
पुरे करे सब अरमान है ॥

रुतबा बड़ा सुहाना हर सय में घूमता है,
बड़े मान से जमाना मां तुमको पूजता है ॥

पापी ह्रदय को निर्मल करो,
भक्ति से मेरा दामन भरो ॥

चेतन झलक दिखा दो मन तुमको ढूंढता है,
बड़े मान से जमाना माँ तुमको पूजता है ॥

बड़े मान से जमाना मां तुमको पूजता है,
तेरे नाम का तराना त्रिभुवन में गूंजता है ॥


12. सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ गौरी सूत महाराज लिरिक्स


श्लोक –
प्रथमे गौरा जी को वंदना,
द्वितीये आदि गणेश।
त्रितिये सीमरु शारदा,
मेरे कण्ठ करो प्रवेश ॥

सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ,
गौरी सूत महाराज,
तुम हो देवों के सरताज।
दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला,
मस्तक मोटा कान,
तुम हो देवों के सरताज ॥

गंगाजल स्नान कराऊँ,
केसर चंदन तिलक लगाऊं।
रंग बिरंगे फुल मे लाऊँ,
सजा सजा तुमको पह्राऊ।
लम्बोदर गज्वद्न विनायक,
राखो मेरी लाज,
तुम हो देवों के सरताज ॥

जो गणपति को प्रथम मनाता,
उसका सारा दुख मीट जाता,
रीद्धी सिध्दि सुख सम्पति पाता।
भव से बेड़ा पार हो जाता,
मेरी नैया पार करो,
मैं तेरा लगाऊं ध्यान,
तुम हो देवों के सरताज ॥

पार्वती के पुत्र हो प्यारे,
सारे जग के तुम रखवाले,
भोलेनाथ है पिता तुम्हारे।
सूर्य चन्द्रमा मस्तक धारें,
मेरे सारे दुख मीट जाये,
देवों यही वरदान,
तुम हो देवों के सरताज ॥

सबसे पहले तुम्हे मनाऊ,
गौरी सूत महाराज,
तुम हो देवों के सरताज।
दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला,
मस्तक मोटा कान,
तुम हो देवों के सरताज ॥

सबसे पहले तुम्हे मनाऊँ,
गौरी सूत महाराज,
तुम हो देवों के सरताज।
दूंद दुँदाला सूँड़ सुन्डाला,
मस्तक मोटा कान,
तुम हो देवों के सरताज ॥


13. शिरडी के रहने वाले लिरिक्स


दोहा –
जिस घर मे हो आरती, चरण कमल चीत लाज,
वहाँ हरि वासा करे, ज्योत अनंत जलाये,
जहाँ भक्त कीर्तन करे, बहे प्रेम दरिया,
वहाँ हरी श्रवण करे, सत्य लोक से आज,
सबकुछ दीन्हा आपने, भेंट करूँ क्या नाथ,
नमस्कार की भेंट लो, जोडु मे दोनो हाथ ॥

शिरडी के रहने वाले कहते है तुझको साँई,
लाखो की बिगड़ी बनाई,
तूने लाखो की बिगड़ी बनाई ॥

खाली ना लौटा कोई साई तेरे दर से,
मन की मूरादे मिली झोली भर भर के,
ऐसा लगाया तुने शिरडी मे मेला,
जो भी आया है उसने डाला है डेरा,
अपने भक्तो की साई तुमने लाज बचाई,
लाखो की बिगड़ी बनाई,
तूने लाखो की बिगड़ी बनाई ॥

पानी से साई तुमने दिये जलाये,
अपने भक्तो को तुमने जलवे दिखाये,
तेरी शिरडी मे साई काशी और मथुरा,
तेरी शिरडी मे साई शिव का शिवाला,
शिरडी मे तुमने साई केसी रास रचाई,
लाखो की बिगड़ी बनाई,
तूने लाखो की बिगड़ी बनाई ॥

तुम हो दयालु साई दया के सागर,
दया से भरदो मेरी भी गागर,
मै भी आया हूँ साई शरण तुम्हारी,
मेरी भी साई तु बिगड़ी बना दे,
तेरी किरपा हो मुझ पर मेरी है असली कमाई,
लाखो की बिगड़ी बनाई,
तूने लाखो की बिगड़ी बनाई ॥


14. कैसी मुरलिया बजाई रे छलिया मनमोहना लिरिक्स


दोहा –
जो मै ऐसा जानती,
की प्रीत करे दुख होय,
नगर ढिन्डोरा पीटती,
की प्रीत ना करियो कोई ॥
प्रीत वा से कीजियो,
की जा से मन बतियाये,
जने जने की प्रीत मे,
ये जनम अकारज जाये ॥

कैसी मुरलिया बजाई रे,
छलिया मनमोहना,
मै तो दौड़ी दौड़ी चली आई रे ॥

काहे को ऐसी मुरली बजाये,
मेरे मन को चेन ना आये,
नँदलाला ओ कन्हैया…
भूल गई मै सब काम अपना,
आई घर से करके बहाना,
छलिया मनमोहना,
मै तो दौड़ी दौड़ी चली आई रे ॥

सारी सखियां मारे है ताने,
तुम तो अपनी धुन मे दीवाने,
नँदलाला ओ कन्हैया…
मेरे घर पर मेरा सजन है,
लेकिन मेरा तुझपे ही मन है,
छलिया मनमोहना,
मै तो दौड़ी दौड़ी चली आई रे ॥

पनघट पर मेरी बईयाँ मरोड़ी,
मै जो बोली मेरी मटकी ही फोडी,
मुझको कन्हैया,
मिल जायेगा जिस दिन,
छिन लूँगी मुरली मै उस दिन,
छलिया मनमोहना,
मै तो दौड़ी दौड़ी चली आई रे ॥

चल के पनघट पे,
तलक प्यार की दो बात करे,
जल भरने के बहाने से मुलाकात करे,
छेड़ खानी ना करो नार नवेली हूँ मै,
सर पे गागर है मेरे और अकेली हूँ मै ॥

मै पुजारी आपका हूँ,
मेरी पूजा आप है,
मेरा ईमा मेरा धरम,
मेरे सबकुछ आप है,
मेरा मंदिर मेरी मस्जिद,
मेरे काबा आप है,
क्यू बताऊँ मै किसी को,
मेरे क्या क्या आप है ॥

घुँगर वाले बाल श्याम के,
घुँगर वाले बाल,
एक ही मेरा श्याम धणी और,
बाकी सब कंगाल,
घुँगर वाले बाल श्याम के,
घुँगर वाले बाल ॥


15. कभी माखन चुरा लिया कभी पर्वत उठा लिया लिरिक्स


कभी माखन चुरा लिया,
कभी पर्वत उठा लिया,
ओ लल्ला रे,
ये क्या गजब किया,
मेरे कान्हा,
मुझको डरा दिया ॥

कभी मुझको शक होता,
तु मेरा लाल नही है,
है कोई अवतारी तु,
ये मेरी बात सही है,
इन्द्र से रक्षा के खतिर,
तुमने पर्वत उठा लिया ॥

मेरे कान्हा ये बताना,
मेरे कान्हा ये बताना,
ओ लल्ला रे,
ये क्या गजब किया मेरे कान्हा ॥

बहाना कोई करके,
तु सबसे रास रचाये,
कभी तु चीर चुराये,
कभी बंसी पे नचाये ।
तेरी लीला ना समझी मै,
तु क्या क्या रुप दिखाये ॥

मेरे कान्हा ये बताना,
मेरे कान्हा ये बताना,
ओ लल्ला रे,
ये क्या गजब किया मेरे कान्हा ॥

कन्हैया बोले हँसकर,
माँ तेरा लाल ही हूँ,
आया दुष्टों को मिटाने,
लेके अवतार मे हूँ ।
बात जब पवन बताई,
सुन के माँ गले लगाई ॥

मेरे कान्हा ये बताना,
मेरे कान्हा ये बताना,
ओ लल्ला रे,
ये क्या गजब किया मेरे कान्हा ॥

कभी माखन चुरा लिया,
कभी पर्वत उठा लिया,
ओ लल्ला रे,
ये क्या गजब किया,
मेरे कान्हा,
मुझको डरा दिया ॥


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