Mata Vaishno Devi Bhajan Lyrics
1. जगदाती पहाड़ों वाली माँ मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ लिरिक्स
जगदाती पहाड़ों वाली माँ,
मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ,
मेरा और सहारा कोई ना,
मेरी लाज बचाने आ जाओ,
जगदाती पहाड़ों वाली माँ,
मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥
मैं निर्बल निर्धन दिन बड़ा,
मैं घिर गया गम के घेरों में,
मां ज्योति रुपा भय हरनी,
कहीं डूब ना जाऊं अंधेरों में,
कमजोर हूं मैं मैया,
मेरी चिंता मिटाने आजाओ,
मेरी चिंता मिटाने आजाओ,
जग दाती पहाड़ो वाली मां,
मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥
तेरे भरे हुए भंडार है माँ,
मोहताज मैं दाने दाने का,
तेरे होते हुए दिल कांप रहा,
तेरे द्वार के इस दीवाने का,
मेरी नाव भंवर में फंसी,
इसे पार लगाने आ जाओ,
इसे पार लगाने आ जाओ,
जग दाती पहाड़ो वाली मां,
मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥
कहीं एक गरीब की कुटिया ना,
लोगों की नजर से गिर जाए,
विश्वास के रंगों पर मैया,
कहीं पानी ही ना फिर जाए,
क्या करूं कुछ सूझे ना,
मुझे रास्ता दिखाने आ जाओ,
मुझे रास्ता दिखाने आ जाओ,
जग दाती पहाड़ो वाली मां,
मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥
जगदाती पहाड़ों वाली माँ,
मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ,
मेरा और सहारा कोई ना,
मेरी लाज बचाने आ जाओ,
जगदाती पहाड़ो वाली मां,
मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥
2. मैं परदेसी हूँ पहली बार आया हूँ लिरिक्स
हो मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ
दर्शन करने मइया के दरबार आया हूँ
हो मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ
दर्शन करने मइया के दरबार आया हूँ
ऐ लाल चुनरिया वाली बेटी
ये तो बताओ माँ के भवन जाने का रास्ता किधर से है
इधर से है या उधर से
सुन रे भक्त परदेशी इतनी जल्दी है कैसी
अरे जरा घूम लो फिर लो रौनक देखो कटरा की
जाओ तुम वह जाओ पहले पर्ची कटाओ
ध्यान मैया का धरो इक जैकारा लगाओ
चले भक्तों की टोली संग तुम मिल जाओ
तम्हे रास्ता दिखा दूँ मेरे पीछे चले आओ
ये है दर्शनी डयोढ़ी दर्शन पहला है ये
करो यात्रा शुरू तो जय माता दी कह
यहाँ तलक तो लायी बेटी आगे भी ले जाओ ना
मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ
दर्शन करने मैया के दरबार आया हूँ
इतना शीतल जल ये कौन सा स्थान है बेटी
ये है बाणगंगा पानी अमृत समान
होता तन मन पावन करो यहाँ स्नान
माथा मंदिर में टेको करो आगे प्रस्थान
चरण पादुका वो जाने महिमा जहान
मैया जग कल्याणी माफ़ करना मेरी भूल
मैंने माथे से लगाई तेरी चरणों की धूल
यहाँ तलक तो लायी बेटी आगे भी ले जाओ ना
मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ
दर्शन करने मैया के दरबार आया हूँ
ये हम कहा आ पहुंचे, ये कौन सी जगह है बेटी
ये है आदि कुमारी महिमा है इसकी भारी
गर्भजून बकुपा है कथा है जिसकी न्यारी
भैरो जती इक जोगी मास मदिरा हारी
लेने माँ की परीक्षा बात उसने विचारी
मास और मधु मांगे मति उसकी थी मारी
हुई अंतर्ध्यान माता आया पीछे दुराचारी
नौ महीने इसीमे रही मैया अवतारी
इसे गुफा गर्भजून जाने दुनिया ये सारी
और गुफा से निकलकर माता वैष्णो रानी
ऊपर पावन गुफा में पिंडी रूप मे प्रकट हुई
धन्य धन्य मेरी माता धन्य तेरी शक्ति
मिलती पापों से मुक्ति करके तेरी भक्ति
यहाँ तलक तो लायी बेटी आगे भी ले जाओ ना
मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ
दर्शन करने मैया के दरबार आया हूँ
ओह मेरी मइया इतनी कठिन चढ़ाई
ये कौन सा स्थान है बेटी
देखो ऊँचा वो पहाड़ और गहरी खाई
जरा चढ़ना संभल के हत्ते मत्थे की चढ़ाई
टेढ़े मेढ़े रस्ते है पर डरना न भाई
देखो सामने वो देखो सांग छत की दिखाई
परदेशी यहाँ कुछ खा लो पी लो
बस थोड़ी यात्रा और बाकी है
ऐसा लगता है मुझको मुकाम आ गया
माता वैष्णो का निकट ही धाम आ गया
यहाँ तलक तो लायी बेटी आगे भी ले जाओ ना
मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ
दर्शन करने मैया के दरबार आया हूँ
वाह क्या सुन्दर नज़ारा है
आखिर हम माँ के भवन पहुंच ही गए ना
ये पावन गुफा किधर है बेटा
देखो सामने गुफा है मैया रानी का दुआरा
माता वैष्णो ने यहाँ रूप पिण्डियों का धारा
चरण गंगा में नहा लो थाली पूजा की सजा लो
लेके लाल लाल चुनरी अपने सर पे बंधवा लो
जाके सिंदूरी गुफा में माँ के दर्शन पा लो
बिन मांगे ही यहाँ से मन इच्छा फल पा लो
गुफा से बाहर आकर कंजके बिठाते है
उनको हलवा पूरी और दक्षिणा देकर आशीर्वाद पातें है
और लौटते समय बाबा भैरो दर्शन करने से यात्रा संपूर्ण मानी जाती है
आज तुमने सरल पे उपकार कर दिया
दामन खुशियों से आनंद से भर दिया
भेज बुलावा भी अगले बरस भी परदेशी को बुलाओ माँ
हर साल आऊंगा जैसे इस बार आया हूँ
मैं परदेशी, ओ मैया मैं परदेसी, परदेसी
मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ
दर्शन करने मैया के दरबार आया हूँ
3. ले के पूजा की थाली ज्योत मन की जगा ली लिरिक्स
ले के पूजा की थाली,
ज्योत मन की जगा ली,
तेरी आरती उतारूँ भोली माँ,
तू जो दे दे सहारा,
सुख जीवन का सारा,
तेरे चरणों पे वारूँ भोली माँ,
ओ माँ ओ माँ ॥
धूल तेरे चरणों की लेकर,
माथे तिलक लगाया,
यही कामना लेकर मैया,
द्वार तेरे मैं आया,
रहूँ मैं तेरा हो के,
तेरी सेवा में खो के,
सारा जीवन गुजारूं भोली माँ,
तू जो दे दे सहारा,
सुख जीवन का सारा,
तेरे चरणों पे वारूँ भोली माँ,
ओ माँ ओ माँ ॥
सफल हुआ ये जनम के मैं था,
जन्मों से कंगाल,
तुने भक्ति का धन दे के,
कर दिया मालामाल,
रहे जब तक ये प्राण,
करूँ तेरा ही ध्यान,
नाम तेरा पुकारूं भोली माँ,
तू जो दे दे सहारा,
सुख जीवन का सारा,
तेरे चरणों पे वारूँ भोली माँ,
ओ माँ ओ माँ ॥
ले के पूजा की थाली,
ज्योत मन की जगा ली,
तेरी आरती उतारूँ भोली माँ,
तू जो दे दे सहारा,
सुख जीवन का सारा,
तेरे चरणों पे वारूँ भोली माँ,
ओ माँ ओ माँ ॥
4. आये तेरे भवन देदे अपनी शरण लिरिक्स
आए तेरे भवन,
देदे अपनी शरण,
रहे तुझ में मगन,
थाम के यह चरण,
तन मन में भक्ति ज्योति तेरी,
हे माता जलती रहे ॥
उत्सव मनाये, नाचे गाये,
चलो मैया के दर जाएँ,
चारो दिशाए चार खम्बे बनी हैं,
मंडप पे आसमा की चादर तनी है,
सूरज भी किरणों की माला ले आया,
कुदरत ने धरती का आँगन सजाया,
करके तेरे दर्शन,
झूमे धरती गगन,
सन नन नन गाये पवन,
सभी तुझ में मगन,
तन मन में भक्ति ज्योति तेरी,
हे माता जलती रहे ॥
फूलों ने रंगों से रंगोली सजाई,
सारी धरती यह महकायी,
चरणों में बहती है गंगा की धारा,
आरती का दीपक लगे हर एक सितारा,
पुरवइया देखो चवर कैसे झुलाए,
ऋतुएँ भी माता का झुला झुलायें,
पा के भक्ति का धन,
हुआ पावन यह मन,
कर के तेरा सुमिरन,
खुले अंतर नयन,
तन मन में भक्ति ज्योति तेरी,
हे माता जलती रहे ॥
आए तेरे भवन,
देदे अपनी शरण,
रहे तुझ में मगन,
थाम के यह चरण,
तन मन में भक्ति ज्योति तेरी,
हे माता जलती रहे ॥
5. मैं तो आता रहा तेरे दर पे सदा लिरिक्स
मैं तो आता रहा तेरे दर पे सदा,
मैया तुझको भुलाने को,
आओ गई कब भला मेरे घर पे बता,
घर को मंदिर बनाने को,
मैं तो आता रहा तेरे दर पे सदा,
नंगे पेरो से चल चल के माँ मैं तेरे दरबार पे हर बार आया ,
शाले पड़ जाये पैरो में फिर भी दर्द सेह सेह के भी मुस्काया,
तू ही भूले मुझे मैं न भूलू तुझे चाहे भलु ज़माने को,
मैं तो आता रहा तेरे दर पे सदा,
तेरी मूरत तो हर बार देखि,
अपनी सूरत तो आके दिखाना,
भोग तेरा लगाया तेरा सदा माँ आके घर पे तू खुद भोग खाना,
मैं खिलाऊ तुझे तू खिलाये मुझे,
ऐसा जलवा दिखाने को,
मैं तो आता रहा तेरे दर पे सदा,
मन मैंने के मैं हु भिखारी तीनो लोको की तुम हो हो दाता,
दीन से क्या निभाती नहीं हो माँ बेटे का है जो ये नाता,
मन कंगाल हु पर तेरा लाल हु,
आजा इतना बताने को,
मैं तो आता रहा तेरे दर पे सदा,
राह देखु गा मैं माता रानी जब तलक सांस मेरी चले गई,
जो अगर तू ना आई भवानी दुनिया क्या क्या ना जाने कहे गी,
पूरी कर आस को आँखों की पास को,
आंबे आजा भुजाने को.
मैं तो आता रहा तेरे दर पे सदा,
जो समज तू मुझे लाल अपन फिर मेरा घर क्या तेरा नहीं है,
दूर कितना है तेरे लिए माँ,
फिर क्यों लगता माँ फेरा नहीं है,
मैं तो मजबूर हु रहता मैं दूर हु,
फिर भी आउ मनाने को.
मैं तो आता रहा तेरे दर पे सदा,