धरती माता वालो पेरू घाघरो लिरिक्स | Dharti Mata Walo Peru Ghagro Lyrics

Dharti Mata Walo Peru Ghagro Lyrics

धरती माता वालो पेरू घाघरो लिरिक्स


 दोहा 
मीरा जन्मी मेड़ते , और परना दी चित्तोड़।
राम भजन प्रताप सु , सकल श्रिस्ति शिर मोर।

धरती माता नो ,वालो पेरू घागरो।
में तो अमर , चुनड़ी ओडु।
में तो संतो रे भेळी रेवू।
में तो बाबो रे भेळी रेवू।
आठ पुरुष री चेली जी।

चाँद सूरज मारे ,आंगने लगाऊ।
में तो चरना रो ,जाँजर पेरू।२।
में तो संतो रे भेळी रेवु ,
में तो साधा रे भेळी रेवू। टेर।

ज्ञानी ध्यानी रे ,बगल में राखु।
हनुमान वालो ,कोंकण पेरू।
में तो संतो रे भेळी रेवु ,
में तो साधा रे भेळी रेवू। टेर।

नव लख तारा ,मारे आंगने लगाऊ।
में तो चरना रो ,जाँजर पेरू।२।
में तो संतो रे भेळी रेवु ,
में तो साधा रे भेळी रेवू। टेर।

पारस ने सरहद कर राखु।
में तो डूंगर डोडी में खेलु।
में तो संतो रे भेळी रेवु ,
में तो साधा रे भेळी रेवू। टेर।

नव काली नाग ,मारे चोटड़े बंधाऊ।
जद मारो ,माथो सुखाऊ।
में तो संतो रे भेळी रेवु ,
में तो साधा रे भेळी रेवू। टेर।

दोई कर जोड़ ,मीरा बाई बोले।
में तो गुण , गोविन्द रा गाऊ।
में तो संतो रे भेळी रेवु ,
में तो साधा रे भेळी रेवू। टेर।

धरती माता नो ,वालो पेरू घागरो।
में तो अमर , चुनड़ी ओडु।
में तो संतो रे भेळी रेवू।
में तो बाबो रे भेळी रेवू।
आठ पुरुष री चेली जी।


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