मकर संक्रांति भजन लिरिक्स

मकर संक्रांति भजन लिरिक्स


मकर संक्रांति भजन लिरिक्स


1. संक्रांति का दिन आया बधाई हो लिरिक्स


आज खुशियों भरा दिन आया बधाई हो बधाई सबको,
संक्रांति का दिन आया बधाई हो बधाई सबको,
आज लोहड़ी का दिन आया बधाई हो बधाई सबको....

आज भक्ति का दान मांगे हम, आखरी दम तक सेवा करें हम,
श्री चरणों का मिला है सहारा, बधाई हो बधाई सबको,
आज खुशियों भरा दिन आया.....

प्रभु के प्यार का दीप जलाए, प्यारी छवि को दिल में बसाए,
प्रेमियों ने आनंद पाया बधाई हो बधाई सबको,
आज खुशियों भरा दिन आया.....

दासन दास की अर्जी ये सुन लो, भक्ति प्रेम से झोलियां भर दो,
सबने आनंद पाया बधाई हो बधाई सबको,
आज खुशियों भरा दिन आया.....


2. मकर सक्रांति की महिमा भारी जाने दुनिया सारी लिरिक्स


मकर सक्रांति की महिमा भारी जाने दुनिया सारी
श्रद्धा भक्ति से इस दिन को पूजे सब नर और नारी

आज के दिन से तिल तिल कर के सूरज देव है बढ़ते रहते
इस प्रगति में नव संचार का प्रचार है करते रहते
सर्दी से सिकुड़ी सृष्टि को मिली है ऊर्जा प्यारी
मकर सक्रांति की महिमा भारी

आज के दिन ही मधु केटव को मधुसूदन ने मारा
मंदराचल में दीया समाधि देवताओं को उबारा
इस अवसर पर मंदराचल में लगता मेला भारी
मकर सक्रांति की महिमा भारी

सगर के साथ हजार पुत्रों को कपिल मुनि ने जलाया
सक्रांति को भागीरथ ने गंगा को मुक्त कराया
गंगासागर का उत्सव सब पवो से न्यारी
मकर सक्रांति की महिमा भारी

बाणों की शैया पर पितामह ने भारी दुख झेला
उत्तरायण के आस में उसने छोड़ ना था चोला
इस महान योद्धा की माताजी है गंगा प्यारी
मकर सक्रांति की महिमा भारी

इस त्यौहार को भारतवासी श्रद्धा से है मनाते
बीहू लोहरी पोंगल मकरानती सक्रांति कहाते
देवनदी स्नान दान करे श्रद्धालु नर नारी
मकर सक्रांति की महिमा भारी

कोई नई फसल पाए तो कोई गिद्दा गाए
14 15 जनवरी को ही मकर सक्रांति आएं
हर से हार गई यह सर्दी आई सूरज की बारी
मकर सक्रांति की महिमा भारी


3. मकर संक्रांति त्यौहार आओ मिलकर मनाये लिरिक्स


अब न रुक पाउगा गंगा धाम जाउगा
गंगा के पावन जल में डुबकी लगाऊंगा
मकर संक्रांति त्यौहार आओ मिलकर मनाये
मै भी संग जाउंगी खुशिया मनाऊंगी
गंगा के पवन जल में डुबकी लगाऊंगी
मकर संक्रांति त्यौहार आओ मिलकर मनाये

अब न रुक पाउगा गंगा धाम जाउगा
गंगा के पावन जल में डुबकी लगाऊंगा
मकर संक्रांति त्यौहार आओ मिलकर मनाये
मै भी संग जाउंगी खुशिया मनाऊंगी
गंगा के पवन जल में डुबकी लगाऊंगी
मकर संक्रांति त्यौहार आओ मिलकर मनाये

कर लिया है प्रवेश जब सूर्य देव मकर राशी में,
भीड उमड़ी भक्तो की देखो हरिद्वार काशी में,
दान धरम आज को मिलता उत्तम फल है
सच्ची भक्ति पूजा से होत बेहतर कल है
महिमा त्योंहार की मैं जग को सुनाऊँगा,
गंगा के पवन जल मैं डुबकी लगाउंगी,
मकर संक्रांति त्यौहार, आओ मिलकर मनाएं,
 मै भी संग जाउंगी खुशिया मनाऊंगी
गंगा के पवन जल में डुबकी लगाऊंगी

आज के दिन गंगा माँ मिलती सागर से
लाखों श्रद्धालु आते आज गंगा सागर में,
पाप कटेंगे सारे, माँ गंगा में नहा के,
चूड़ा दही और तिल से थाली आज सजा के,
पूजा करुंगी खिचड़ी पकाऊंगी,  
गंगा के पवन जल में डुबकी लगाऊंगी 
मकर संक्रांति त्यौहार, आओ मिलकर मनाएं,
अब न रुक पाउगा गंगा धाम जाउगा
गंगा के पावन जल में डुबकी लगाऊंगा
मकर संक्रांति त्यौहार आओ मिलकर मनाये
मै भी संग जाउंगी खुशिया मनाऊंगी
गंगा के पवन जल में डुबकी लगाऊंगी
मकर संक्रांति त्यौहार आओ मिलकर मनाये

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