
काया के भजन लिरिक्स
1. हंसा निकल गया काया से खाली पड़ी रही तस्वीर भजन लिरिक्स
दोहा – लुट सके तो लुट ले और,
राम नाम धन लूट,
पीछे फिर पछतावनो,
तेरो प्राण जायेगो छुट।
कबीर कुआ एक है,
और पनिहारी अनेक,
बर्तन सबके न्यारे न्यारे,
पानी सब में एक।
हंसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर,
औ भवरा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर ॥
हां जब यम जीव को लेने आये,
नैना धर्यो नही धीर,
मार-मार कर प्राण निकाले,
नैना बरेश्यो नीर,
हँसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर ॥
हां कोई मनाया देवी देवता,
कोई मनाया पीर,
आया बुलावा उस घर का रे,
जाने पड़ेला आखिर,
भवरा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर ॥
कोई रोवे मल मल रोवे,
अरे कोई ओडावे चीर,
चार जना मिल मतो उपायो,
ले गया गंगा तीर,
हँसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर ॥
माल खजाना कोई न ले जाए,
संग चले ना शरीर,
जाय जंगल चीता लगाईं,
कह गए दास कबीर,
हँसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर ॥
धन दौलत की क्या कहो,
संग जावे नहीं सरीर,
जा मरघट में चिता जलाई,
कह गए दास कबीर,
हँसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर ॥
हंसा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर,
औ भवरा निकल गया काया से,
खाली पड़ी रही तस्वीर ॥
2. थारी काया रो गुलाबी रंग उड़ जासी भजन लिरिक्स
थारी काया रो गुलाबी रंग उड़ जासी,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी,
उड जासी रे फिको पड जासी,
उड जासी रे फिको पड जासी रे,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी ॥
अरे हरा हरा रूकडा उगता रे बाग में,
हरा हरा रूकडा उगता रे बाग में,
पान फूल एक दिन जड़ जासी,
पान फूल एक दिन जड जासी रे,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी ॥
अरे सूरज उगीयो ने दोपारा मे तपीयो,
सूरज उगीयो दोपारा मे तपीयो,
अरे सांझ पड्या सूरज ढल जासी,
सांझ पड्या सूरज ढल जासी रे,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी ॥
अरे रेण बसेरो पंछी किनो,
रेण बसेरो पंछी किनो,
अरे भोर भई रे पंछी उड जासी,
भोर भई रे पंछी उड जासी रे,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी ॥
जग सर्कस है देख मेरा भाई,
जग सर्कस है देख मेरा भाई,
अरे खेल खत्म होया पचे घर जासी,
खेल खत्म होया पचे घर जासी रे,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी ॥
अरे ओ तन है भाई पानी रो पतासो,
ओ तन है भाई पानी रो पतासो,
अरे पानी रो पतासो बीरा गल जासी,
ए पानी रो पतासो ए बीरा गल जासी रे,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी ॥
कहे देवीदास श्री भजन करो भाई,
अरे कहे देवीदास श्री धर्म करो भाई,
अरे धर्म कमाई थारे सागे जासी,
अरे धर्म कमाई थारे सागे जासी रे,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी ॥
थारी काया रो गुलाबी रंग उड़ जासी,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी,
उड जासी रे फिको पड जासी,
उड जासी रे फिको पड जासी रे,
थारी काया रो गुलाबी रंग उड जासी ॥
3. काया ने सिंगार कोयलिया पर मंडली मत जइजो रे भजन लिरिक्स
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत जइजो रे ॥
श्लोक – गोरे गोरे अंग पे गुमान क्या बावरे,
रंग तो पतंग तेरो कल उड़ जावेलो,
धुएं जैसे धन तेरो जातो न लागे देर,
चोरन को माल नही चोवटे बिकायगो,
मन सुख देय सको तो जीवत ही आवे काम,
मुआ पचे सवांन काग कुतरा न खायेगो,
ये दुनिया है तानसेन छोड़ दे माया की धुन,
बंद मुठी आयो हाथ खाली जायेगो।
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत जइजो रे,
पर मंडली रा नही भरोसा,
अध बिच में रूल जावो,
काया ने सिंगार कोयलिया ॥
गेहरो फूल रोहिड़ा रो कहिजे,
वे फूलडा मत लाहिजो रे,
थोड़ा फूल घना कर मानु,
फूल हंजारी गलारो लाइजो रे,
काया ने सिणगार कोयलिया,
पर मंडली मत जइजो रे,
काया ने सिंगार कोयलिया ॥
खारे समुन्द्र रो खारो पानी,
वो पानी मत लाहिजो रे,
थोड़ो नीर घणो कर मानु,
नीर गंगाजल लाहिजो रे,
काया ने सिणगार कोयलिया,
पर मंडली मत जइजो रे,
काया ने सिंगार कोयलिया ॥
विघम भोम में ऊबो खेजडो,
वन छाया में मत बहिजो रे,
उत्तर दखन रो वाजे वाहिरो,
काटो में रूल जाहिजो रे,
काया ने सिणगार कोयलिया,
पर मंडली मत जइजो रे,
काया ने सिंगार कोयलिया ॥
बाई रे मीरा री भजन मंडली,
उन मंडली भलो जाहिजो रे,
उन मंडलीरा खरा भरोसा,
डुबतड़ा तर जावो रे,
काया ने सिणगार कोयलिया,
पर मंडली मत जइजो रे,
काया ने सिंगार कोयलिया ॥
काया ने सिंगार कोयलिया,
पर मंडली मत जइजो रे,
पर मंडली रा नही भरोसा,
अध बिच में रूल जावो,
काया ने सिंगार कोयलिया ॥
4. मत कर माया को अहंकार काया गार से काची भजन लिरिक्स
मत कर माया को अहंकार,
मत कर काया को अभिमान,
काया गार से काची,
काया गार से काची,
जैसे ओस रा मोती,
झोंका पवन का लग जाए,
झपका पवन का लग जाए,
काया धूल हो जासी ॥
ऐसा सख्त था महाराज,
जिनका मुल्कों में राज,
जिन घर झूलता हाथी,
जिन घर झूलता हाथी,
उन घर दिया ना बाती,
झोंका पवन का लग जाए,
झपका पवन का लग जाए,
काया धूल हो जासी ॥
खूट गया सिन्दड़ा रो तेल,
बिखर गया सब निज खेल,
बुझ गयी दिया की बाती,
बुझ गयी दिया की बाती,
रे जैसे ओस रा मोती,
झोंका पवन का लग जाए,
झपका पवन का लग जाए,
काया धूल हो जासी ॥
झूठा माई थारो बाप,
झूठा सकल परिवार,
झूठा कूटता छाती,
झूठी कूटता छाती,
जैसे ओस रा मोती,
झोंका पवन का लग जाए,
झपका पवन का लग जाए,
काया धूल हो जासी ॥
बोल्या भवानी हो नाथ,
गुरुजी ने सर पे धरया हाथ,
जिनसे मुक्ति मिल जासी,
जिनसे मुक्ति मिल जासी,
जैसे ओस रा मोती,
झोंका पवन का लग जाए,
झपका पवन का लग जाए,
काया धूल हो जासी ॥
मत कर माया को अहंकार,
मत कर काया को अभिमान,
काया गार से काची,
काया गार से काची,
जैसे ओस रा मोती,
झोंका पवन का लग जाए,
झपका पवन का लग जाए.
काया धूल हो जासी ॥
5. हंसा सुन्दर काया रो मत करजे अभिमान भजन लिरिक्स
हंसा सुन्दर काया रो,
मत करजे अभिमान,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार,
आखिर एक दिन जाणो रे,
सायब रे दरबार ॥
गरब वास मे दुख पायो,
जद हरि से करी पुकार,
पल भर बुलु नाहि रे,
कोल वचन किरतार,
हंशा सुन्दर काया रो,
मत करजे अभिमान,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार ॥
आकर के संसार मे,
कभी ना भजियो राम,
तिरथ वरत ना किनो रे,
नही कीनो सुकरत काज,
हंशा सुन्दर काया रो,
मत करजे अभिमान,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार ॥
कुटम कबिलो देख के,
गरब कीयो मन माय,
हंश अकेलो जासी रे,
कोय नही संग मे जाय,
हंशा सुन्दर काया रो,
मत करजे अभिमान,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार ॥
राम नाम री बान्ध गाठडी,
कर ले सुकरत कार,
कहै कबीर सुनो भाई साधु,
आखिर आसी राम,
हंशा सुन्दर काया रो,
मत करजे अभिमान,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार ॥
हंसा सुन्दर काया रो,
मत करजे अभिमान,
आखिर एक दिन जाणो रे,
मालिक रे दरबार,
आखिर एक दिन जाणो रे,
सायब रे दरबार ॥
6. कंचन वाली काया सैलानी मैं तो पावना भजन लिरिक्स
कंचन वाली काया,
सैलानी मैं तो पावना,
एक दिन जावाला,
पाछा कोणी आवाला ॥
बोलो बोलो अम्रत वाणी,
इन मुखडा सु,
फूला वाली परमलिसोड़ा,
अमर पद पावाला,
कँचन वाली काया,
सैलानी मैं तो पावणा,
एक दिन जावाला,
फेर नहीं आवाला ॥
लेनो वेतो ले लो रे,
लावो इन हाथा सु,
करलो भलाई वालो काम,
जगत जस पावाला,
कँचन वाली काया,
सैलानी मैं तो पावणा,
एक दिन जावाला,
फेर नहीं आवाला ॥
मिलनो वेतो मिल लो रे,
जगत का मिनखा सु,
मेलो ओ बिछड़ियो जाए,
पछे पछतावा ला,
कँचन वाली काया,
सैलानी मैं तो पावणा,
एक दिन जावाला,
फेर नहीं आवाला ॥
गाना वेतो गा लो रे,
गुरूजी वाला गीत ला,
भैरव भजमन रा,
अमर हो जावोला,
कँचन वाली काया,
सैलानी मैं तो पावणा,
एक दिन जावाला,
फेर नहीं आवाला ॥
कंचन वाली काया,
सैलानी मैं तो पावना,
एक दिन जावाला,
पाछा कोणी आवाला ॥
7. काया सुनी सुनी लागे मारा गुरासा बिना भजन लिरिक्स
काया सुनी सुनी लागे,
मारा गुरासा बिना,
गुरासा बिना सत गुरासा बिना,
गुरासा बिना सत गुरासा बिना,
काया सुनी सुनी लागें,
मारा गुरासा बिना ॥
मन्दिर महल भवन सब सुना,
दीपक ज्योत बिना,
ग्यान बिना यो ह्रदय सुना,
धरती ईन्दर बिना,
काया सुनी सुनी लागें,
मारा गुरासा बिना ॥
माल खजाना दोलत सुना,
ये सब धर्म बिना,
अरे पुत्र बिना परिवार हैं सुना,
या चिडिया घर बिना,
काया सुनी सुनी लागें,
मारा गुरासा बिना ॥
मोटर गाङी इंजन सुना,
ये सब तेल बिना,
वेद बिना ब्रामण हे सुना,
यो हाथी दांत बिना,
काया सुनी सुनी लागें,
मारा गुरासा बिना ॥
हंस बिना सरवरीया सुना,
ये घोङा जिण बिना,
अरे नाव तो केवट बिन सुनी,
यो केवटी राम बिना,
काया सुनी सुनी लागें,
मारा गुरासा बिना ॥
माया तो मनका बिन सुनी,
या भक्ति भाव बिना,
हरी भजन तो कर ले हजारी,
अरे लालच लोभ बिना,
काया सुनी सुनी लागें,
मारा गुरासा बिना ॥
काया सुनी सुनी लागे,
मारा गुरासा बिना,
गुरासा बिना सत गुरासा बिना,
गुरासा बिना सत गुरासा बिना,
काया सुनी सुनी लागें,
मारा गुरासा बिना ॥