जोगी भेष धरकर नंदी पे चढ़कर शिवरात्रि लिरिक्स

जोगी भेष धरकर नंदी पे चढ़कर शिवरात्रि लिरिक्स

जोगी भेष धरकर नंदी पे चढ़कर शिवरात्रि लिरिक्स


॥ दोहा ॥
देखो देखो ये बाराती, ये बारातियों का हाल,
बैल पर चढ़कर, मेरे भोलेनाथ आए है,
अंधे काणे और लूले लंगड़े, संग में बाराती लाए है।

जोगी भेष धरकर, नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने, भोलेनाथ आ गए है,
देख देख दूल्हा और बाराती,
राजा हिमाचल मैना घबरा रहे है,
जोगी भेंष धरकर, नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने, भोलेनाथ आ गए है ॥

देखकर के दूल्हा सखिया, घबरा गई है,
दौड़ी दौड़ी गौरा के, पास आ गई है,
बोली सखिया जाकर, दुल्हा सौ बरस का,
मुंह से बाहर उसके, दांत आ रहे है,
जोगी भेंष धरकर, नंदी पे चढ़कर,
गौरा को बिहाने, भोलेनाथ आ गए है ॥

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