दूल्हा बनकर के शंकर चले जिस घड़ी लिरिक्स

दूल्हा बनकर के शंकर चले जिस घड़ी लिरिक्स

दूल्हा बनकर के शंकर चले जिस घड़ी लिरिक्स


दूल्हा बनकर के, शंकर चले जिस घड़ी,
घर हिमाचल के, आना गजब हो गया,
क्या अजब शान थी, क्या गजब रूप था,
शिव का दूल्हा बनाना, गजब हो गया,
दूल्हा बनकर के, शंकर चले जिस घड़ी ॥

धरती अम्बर हिला, शिव का डमरू बजा,
देवता सब चले, अपना वाहन सजा,
भुत प्रेतों के संग आए शुक्र शनि,
शिव का घोतक रचाना, गजब हो गया,
दुल्हा बनकर के, शंकर चले जिस घड़ी,
घर हिमाचल के, आना गजब हो गया,
शंकर चले जिस घड़ी ॥

ब्रम्हा विष्णु जी देखो, बाराती बने,
शिव के ब्याह में, हिमाचल की नगरी चले,
धीरे धीरे लगे साज बजने सभी,
शिव का डमरू बजाना, गजब हो गया,
दुल्हा बनकर के, शंकर चले जिस घड़ी,
घर हिमाचल के, आना गजब हो गया,
शंकर चले जिस घड़ी ॥

बैल पे बैठके, राख तन पे मले,
काँधे झोला बड़ा, नाग विषधर गले,
दूल्हा बूढ़ा सा जोगी है, लम्बी जटा,
चंदा मस्तक सजाना, गजब हो गया,
दुल्हा बनकर के, शंकर चले जिस घड़ी,
घर हिमाचल के, आना गजब हो गया,
शंकर चले जिस घड़ी ॥

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